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Wednesday, July 14, 2010

सॉफ्टवेयर के पारखी

सॉफ्टवेयर के पारखी
कंप्यूटरने दुनिया बदल दी है, तो इसमें नए-नए सॉफ्टवेयर्स का भी बडा हाथ है। सॉफ्टवेयर के बिना आज के मॉडर्न कंप्यूटर व‌र्ल्ड की कल्पना करना बेमानी ही होगा। सॉफ्टवेयर कंसल्टिंग फर्म ओवम के मुताबिक, ग्लोबल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग मार्केट वर्ष 2013 तक 56 अरब डॉलर का हो जाएगा। बढते मार्केट की वजह से सॉफ्टवेयर टेस्टिंग करियर के लिहाज से एक उम्दा क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।

क्या है सॉफ्टवेयर टेस्टिंग
जब सॉफ्टवेयर तैयार होता है, तो इसकी गुणवत्ता को परखने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टर की जरूरत होती है। दरअसल, सॉफ्टवेयर टेस्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की तरह ही एक अलग प्रोफेशन है। सॉफ्टवेयर के निर्माण और विकास से सॉफ्टवेयर टेस्टर का कुछ ज्यादा सरोकार नहीं होता है।
जब सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेवलपर्स किसी सॉफ्टवेयर को तैयार कर लेते हैं, इसके बाद शुरू होता है सॉफ्टवेयर टेस्टर का काम। टेस्टर सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता, तकनीकी क्षमता और उसकी स्टैबिलिटी को परखते हैं। आमतौर पर टेस्टिंग को दो हिस्सों में बांटा जाता है- मैनुअली टेस्टिंग और ऑटोमैटेड टेस्टिंग।
मैनुअली टेस्टिंग में टेस्टर सामान्य तौर पर ही किसी सॉफ्टवेयर की जांच करते हैं, लेकिन ऑटोमैटेड टेस्टिंग में टेस्टिंग टूल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग, व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग, ग्रे बॉक्स टेस्टिंग, फंक्शनल टेस्टिंग, स्ट्रेस टेस्टिंग, लोड टेस्टिंग, स्मोक टेस्टिंग, सिस्टम टेस्टिंग, इंटीग्रेटेड टेस्टिंग और रीग्रेशन टेस्टिंग जैसे कार्य होते हैं।
क्यों अपनाएं यह करियर हाल के महीनों में आईटी कंपनियों की स्थिति बेहद अच्छी नहीं थी, बावजूद इसके सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के कारोबार में अच्छी-खासी तेजी देखी गई। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2010 तक टेस्टिंग सेवाओं का अंतरराष्ट्रीय मार्केट 13 अरब डॉलर का हो जाने की उम्मीद है। इसमें से 45 से 50 प्रतिशत काम भारत से आउटसोर्स किए जाने का अनुमान है।
जानकार कहते हैं कि भारत आउटसोर्स टेस्टिंग मार्केट का 70 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की क्षमता रखता है। इससे जाहिर है कि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के फील्ड में आने वाले दिनों में गतिविधियां और तेजी से बढेगी।
कोर्स ऐंड क्वालिफिकेशन
कंप्यूटर एजुकेशन देने वाले देश में प्रमुख संस्थान सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स मुहैया कराते हैं। इसके अलावा, इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्वालिफिकेशन बोर्ड द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कोर्स उपलब्ध है, जो देश के साथ-साथ विदेश में नौकरी दिलाने में सहायक होता है।
आमतौर पर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कोर्स में एडमिशन के लिए कई संस्थान बीएससी, बीसीए, एमएससी, बीई, बीटेक, एमई, एमटेक जैसी डिग्री की डिमांड करती है।
पर्सनल स्किल :- सॉफ्टवेयर टेस्टर को टेक्नोलॉजी के साथ-साथ बिजनेस की भी अच्छी समझ होनी चाहिए। ऐसा होने पर ही टेस्टर बेहतर और बारीकी से अपना काम कर सकेंगे। टेस्टर के लिए सभी आवश्यकताओं का ठीक तरह से आकलन अहम होता है। इसके बाद टेस्टिंग की कार्ययोजना तैयार करना, उनका क्रियान्वयन करना, दोष व खतरे को तलाशना, उनकी रिपोर्ट तैयार करना टेस्टर की ही जिम्मेवारी होती है। इतना ही नहीं, एप्लिकेशन से जुडे संभावित जोखिमों के बारे में आगाह करना भी टेस्टर का ही काम होता है।

जॉब का रोमांच
नैसकॉम के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों में 30 से 40 हजार लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं। इससे साफ है कि इस इंडस्ट्री में फिर से रौनक लौट रही है। मैकिंजे ऐंड कंपनी द्वारा वर्ष 2020 तक की संभावनाओं पर जारी एक रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा तेजी, टैलेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति के दम पर भारतीय आईटी इंडस्ट्री का निर्यात कारोबार 2020 तक 178 अरब डॉलर का हो जाएगा। घरेलू कारोबार की हिस्सेदारी 2020 तक 50 अरब डॉलर का हो जाएगा।
इस समय भारत की कई आईटी सॉफ्टवेयर कंपनियों ने अब नई भर्तियां करने की घोषणा की है। सॉफ्टवेयर कंपनियों की बात करें, तो इनमें टीसीएस, विप्रो, सत्यम, इन्फोसिस, कॉग्निजंट आदि प्रमुख हैं, जहां आप बेहतर करियर की उम्मीद कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट वॉच
रोमांचक है टेस्टिंग का काम
सॉफ्टवेयर के बढते उपयोग और कारोबार के कारण सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के क्षेत्र में काफी स्कोप देखा जा रहा है।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के प्रति पेशेवरों का नजरिया क्या है?
नए स्नातक आजकल टेस्टिंग में करियर बनाने को काफी उत्सुक नजर आने लगे हैं। यह एक बडा परिवर्तन है। इंटरनेट की बदौलत आज सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन कहीं ज्यादा लोगों द्वारा उपयोग में लाए जा रहे हैं। ऐसे में बिजनेस की सफलता काफी हद तक इन एप्लिकेशन की गुणवत्ता और कार्यक्षमता पर निर्भर करती है।
कितना रोमांचक है यह काम?
सॉफ्टवेयर में दोष ढूंढने का काम काफी रोमांच भरा होता है। इस क्षेत्र में कामयाब होने के लिए एक सकारात्मक रवैया, पैनी नजर और जोश जरूरी है।
क्या भारतीय सॉफ्टवेयर टेस्टर्स अंतरराष्ट्रीय दर्जे के होतेहैं?
टेस्टिंग सेवाओं की आउटसोर्सिग के क्षेत्र में भारत अग्रणी है। यहां का टेस्टिंग मार्केट आकार के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय मार्केट की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ रहा है। जिस तरह हमारे टेस्टर्स ऊंचे से ऊंचे दर्जे के, जटिल से जटिल सिस्टम्स को सफलता से टेस्ट कर रहे हैं, उसे देखकर यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारतीय टेस्टर किसी से भी कम नहीं।
टेस्टिंग एक कला है या विज्ञान?
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग आज एक स्वतंत्र विधा बन चुकी है। यह टेक्नोलॉजी और बिजनेस ज्ञान के मिश्रण से बनी विधा है। उस लिहाज से देखें, तो इसमें कला भी है, विज्ञान और इंजीनियरी भी। आज करियर के लिहाज से इस क्षेत्र में काफी अच्छी संभावनाएं हैं।

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