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Wednesday, July 14, 2010

सिग्नल अप!

सिग्नल अप!

फोटोनिक्स का इस्तेमाल टेलीफोन, ब्रॉडबैंड और यहां तक कि टीवी केबल में सिग्नलों के संप्रेषण के लिए किया जाता है। इसे 21वीं सदी की तकनीक कहा जाता है। इसके बढते उपयोग की वजह से इस क्षेत्र में करियर की भरपूर संभावनाएं हैं।

क्या है फोटोनिक्स
फोटोनिक्स ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स के संयोजन से मिल कर बना है। भौतिकी की यह उपशाखा प्रकाश के सूक्ष्मतम कण फोटॉन के अध्ययन से संबंधित है। सरल शब्दों में कहें, तो यह सूचनाएं पाने और प्रेषित करने के लिए प्रकाश के इस्तेमाल की तकनीक है। यह लाइट के इमिशन, डिटेक्शन, ट्रांसमिशन और मॉड्यूलेशन से जुडी तकनीकों में विशेषज्ञता हासिल करने का विज्ञान है। इस खास तकनीक का इस्तेमाल इन दिनों कम्युनिकेशन, हेल्थकेयर, मेडिसिन, रक्षा, ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्र में खूब होने लगा है। दरअसल, फोटोनिक्स सिस्टम में इंफॉर्मेशन सिग्नल प्रकाशीय तरंगों के रूप में भेजे जाते हैं और ये सिग्नल ऑप्टिकल फाइबरों के जरिए प्रेषित होते हैं। टेलिकम्युनिकेशन के विस्तार में फोटोनिक्स तकनीक का अहम योगदान रहा है। टेलिकम्यूनिकेशन के साथ-साथ कंप्यूटिंग, सिक्योरिटी समेत और भी कई कार्यप्रणालियों में फोटोनिक्स बुनियादी तकनीक बन गया है। फोटोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल इमेजिंग, चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा, प्रतिरक्षा, ऑप्टिक्स व इलेक्ट्रॉनिक्स में भी होता है। एडवांस्ड स्पेक्ट्रोस्कोपी, लेजर, माइक्रोस्कोपी और फाइबर ऑप्टिक इमेजिंग के जरिए शोध संबंधी समस्याओं को सुलझाने में यह तकनीक खूब काम आती है। बॉयोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबॉयोलॉजी, चिकित्सा विज्ञान, सर्जरी व लाइफसाइंस में भी इसका इस्तेमाल होता है।

कैसे मिलेगी एंट्री
देश के कई प्रमुख शिक्षण संस्थान फोटोनिक्स कोर्स संचालित करते हैं। भौतिकी, रसायन और गणित विषय के साथ बारहवीं की परीक्षा न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण कैंडिडेट्स फोटोनिक्स ऐंड ऑप्टोमेट्रिक्स के ग्रेजुएशन कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। भौतिकी व गणित, एप्लाइड फिजिक्स या इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ बैचलर डिग्री हासिल करने वाले कैंडिडेट्स फोटोनिक्स या ऑप्टोमेट्रिक्स में मास्टर कर सकते हैं। फोटोनिक्स में एमटेक, एमफिल और पीएचडी करने की चाह रखने वाले कैंडिडेट्स के पास फिजिक्स अथवा फोटोनिक्स में मास्टर डिग्री होनी चाहिए। इसके अलावा, आप डिप्लोमा कोर्स में भी एंट्री ले सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स करने के बाद आप फोटोनिक्स टेक्नीशियन बन सकते हैं। वैसे, द्विवर्षीय टेक्नीशियन प्रोग्राम के जरिए भी फोटोनिक्स टेक्नीशियन बना जा सकता है।
पर्सनल स्किल
इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले कैंडिडेट्स की साइंस या इससे संबंधित विषयों में दिलचस्पी होनी चाहिए। यदि आप भी इसमें करियर बनाना चाहते हैं तो जरूरी है कि इस क्षेत्र में होने वाली नई-नई गतिविधियों पर सतत निगाह रखें और ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करें। आपकी फिजिक्स व मैथमेटिक्स अच्छी होनी चाहिए। इसमें उपकरण डिजाइन करने पडते हैं, लिहाजा क्रिएटिव होना भी जरूरी है।

कहां है नौकरी?
एक फोटोनिक्स स्पेशलिस्ट किसी फोटोनिक्स कंपनी में इंजीनियर, टेक्नीशियन या साइंटिस्ट के तौर पर काम कर सकता है या किसी यूनिवर्सिटी अथवा सरकारी कार्यालयों में उसे प्रोफेशनल ऑफिसर के तौर पर नौकरी मिल सकती है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ साइंटिस्ट के रूप में भी काम कर सकते हैं। उन्हें फोटोनिक्स पर शोध का काम करना होता है, जबकि इस विधा के इंजीनियर उपकरण डिजाइन करते हैं। फोटोनिक्स टेक्नीशियन इंजीनियरों को डिजाइनिंग व मैन्युफैक्चरिंग में मदद करते हैं। फोटोनिक्स इंजीनियर चाहें तो किसी अनुभवी इंजीनियर के सहायक के रूप में अपना करियर शुरू कर सकते हैं। हां, अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर आप आगे चलकर रिसर्च डायरेक्टर या प्रिंसिपल इंजीनियर भी बन सकते हैं। इसके अलावा आप सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी, फाइबर ऐंड इंटीग्रेटेड ऑप्टिक्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से जुडे शोध व विकास संस्थानों या अन्य उद्योगों में भी महत्वपूर्ण पद हासिल कर सकते हैं।
सैलरी पैकेज
शुरुआती दौर में आपको 15,000 से 25,000 रुपये प्रति माह सैलरी आसानी से मिल सकती है। विदेशों में भी इस क्षेत्र से जुडे विशेषज्ञों के लिए बेहतर संभावनाएं नजर आ रही हैं। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में फोटोनिक्स रिसर्चर/साइंटिस्ट का पैकेज लाखों में होता है।

फीचर टीम

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